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कॉलगर्ल

लेकिन मुझे एक बात का बेहद ही आश्चर्य है कि पिछले कुछ सालों में उन्होंने डायमंड में काफी अच्छी तरक्की की है? 'हां, इसके लिए मैं उन्हें लकी समझता हूं! डायमंड के फील्ड में उनका नॉलेज बहुत ही अच्छा था तभी तो उन्हें एक बड़े व्यापारी का सपोर्ट मिला और हमारी उन्नति के श्री गणेश हुये। ओके मैंम, हमने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है लेकिन अस्पताल वालों को सख्त हिदायत दे दी गई है कि जब तक आप अपने पति का चेहरा देख नहीं लेती पोस्टमार्टम नहीं होगा। तो आप जितना हो सके जल्दी सिविल पहुंच जाइये---- मैं आपसे वही मिलता हूं। हां--- एक बात और कहना चाहूंगा, हत्यारा बदले की भावना से हत्या कर रहा है ऐसा हमें डाउट है। उसके पास्ट से आपके पति का कोई ना कोई कनेक्शन जरूर है। उनका इन्वॉलमेन्ट होना ही चाहिए। वो कैसे? मैं वही पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं। और यकीन मानिए जल्द से जल्द में इस बात का पता लगा के रहूंगा की आखिर इस मौत के खेल के पीछे की वजह क्या थी? इतना कहकर खटपटिया इंस्पेक्टर जगदीश के साथ अस्पताल के लिए रवाना हो गया। ************

"तुम्हें क्या लगता है जगदीश?" पोपट खटपटिया ने गाडी स्टार्ट करते हुए सह पुलिसकर्मी इंस्पेक्टर जगदीश से पूछा। "मामला काफी पेचीदा और उलझा हुआ है सर!" इंस्पेक्टर जगदीश ने गाडी मैं बैठते हुए बोल उठा। लेकिन जल्द से जल्द हम खूनी को पकड़ लेंगे एक बात तो आप भी मानते हैं कि होनी चाहिए कितना भी बड़ा दिमाग वाला क्यों ना हो लेकिन वह कोई ना कोई गलती जरूर करता है। अगर कोई नौसीखिए है तो अपनी मूर्खता की वजह से जल्दी पकड़ा जाएगा और कोई घुटा हुआ दिमागदार हत्यारा है तो अपने ओवर कॉन्फिडेंस की वजह से कोई ना कोई चुक जरूर करेगा। हमें उसकी वही चुक पकड़नी है।" "वैसे करण दास की बीवी के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है?" "मुझे तो यह स्त्री बहुत ही पक्की खिलाड़ी लग रही है। आपने देखा ही होगा उसके चेहरे पर जो आप थे वह बिल्कुल बनावटी थे। आपके प्रश्नों का वह बहुत सावधानी से उत्तर दे रही थी ऐसा कोई कब करता है सर आप नहीं जानते क्या?" "मुझे भी इस महिला पर डाउट है लेकिन मजे की बात यह है कि इसके पति की मौत हुई तब यह बाहर थी।" "मगर सर, सोचने वाली बात है इसके पति का खून होने वाला था इसी दौरान ये अपने पति को अकेला छोड़कर शादी में शिरकत करने उड़ीसा चली जाती है। यह बात मुझे तो हजम नहीं हो रही कम से कम---- क्या आपको हजम हो रही है?" "मुझे भी इस बात पर थोड़ा डाउट जरूर है लेकिन जरूरी नहीं की अपने ही पति की मौत के लिए वह जिम्मेदार हो हमें सिर्फ इसी को टारगेट बनाकर नहीं चलना चाहिए एक ही दिशा में हम बढ़ते रहे तो हो सकता है आगे जाकर रास्ता ही ब्लॉक हो जाए।" "आप सही कह रहे हैं हमें इस केस के साथ-साथ बाकी पहलुओं पर भी सोचना चाहिए! आज तलक हमने जितने भी केस सॉल्व किए हैं ठीक उसी तरह इस केस को भी हैंडल करेंगे। और मुझे आप पर पूरा भरोसा है सर कातिल चाहे कोई भी हो वह हमसे बचकर नहीं निकल सकता।" "हमारे सामने एक नहीं दो-दो मर्डर हो चुके हैं! और जिस तरीके से हत्या को अंजाम दिया गया है उससे तो यही लगता है कि हत्यारे ने बहुत ही सोच समझकर इस वारदात को अंजाम दिया है।" "जगदीश, देख लेना कातिल बहुत ही सनकी और खतरनाक है। जिस तरीके से उसने मर्डर किए हैं उससे यह बात तों में दावे के साथ कह सकता हूं कि बहुत ही सोच समझ कर वह पुलिस को चैलेंज कर रहा है। उसे किसी का डर नहीं है। नहीं उसे करने का डर है। और ऐसा तभी हो सकता है जब इंसान ने कोई गहरी ठोकर खाई हो। ठोकर खाने के बाद उसने इतना दर्द सह हो कि अब उसे कोई भी दर्द असर करने की क्षमता खो चुका हो। शायद वह अपने सिर पर कफन बांधकर निकल चुका है।" "यकीनन अंसार आपकी बात से मैं पूरी तरह सहमत हूं! जो आदमी बदले की भावना को लेकर अपने दिल और दिमाग में आग लिए घूमता हो वही इंसान बेखौफ होकर ऐसी हत्याओं को अंजाम दे सकता है।"


खटपटिया करण दास की विधवा वाइफ को आश्वासन देकर वापस लौट रहा था। उससे मिलने के बाद उसके बिहेवियर और शंकास्पद व्यक्तित्व को लेकर बहुत सारे सवाल उसके दिमाग में उमड रहे थे। अपने पति की मौत पर उसका रोना धोना जगदीश और खटपटिया को बिल्कुल बनावटी लगा था जैसे उसने विधवा का चौगा पहन रखा था लेकिन वह जैसे मन ही मन बहुत खुश लग रही थी। इंसान चाहे अपने मनोभावों को लाख छुपाने की कोशिश करें तब भी छुप नहीं सकता क्योंकि कुदरत ने चेहरे की रचना आने की तरह की है जैसे आईना इंसान का मूल रूप अपने सामने रख देता है ऐसे ही चेहरा भी किसी भी इंसान के मनोभावों को आईने की तरह साफ कर देता है। और खटपटिया ने उसके मनोभावों को अच्छी तरह समझ गया था। पति की मौत के बाद पत्नी की जैसी स्थिति होनी चाहिए ऐसी स्थिति करण दास की विधवा पत्नी की बिल्कुल नहीं थी। वह बहुत ही ड्रामेबाज लग रही थी खटपटिया उसकी ओवर एक्टिंग से ही समझ गया था कि उसे अपने पति की मौत का जवाबी अफसोस नहीं है बस यह दिखावा कर रही है और इसके दिखावे के पीछे जो भी जिम्मेदार है उसे खटपटिया जितना हो सके जल्दी पकड़ लेना चाहता था। मखमली बदन की मालकिन का परफोमन्स वाकई क़ाबिले तारीफ़ था। खटपड़िया उसके बंगले से बाहर निकाला था। तब उसने नारंग को सादे ड्रेस में उसके बंगले के ठीक सामने खड़े पानी पुरी वाले के साथ बात करते हुए देखा था। नारंग सर को सैल्यूट करके वापस अपने काम पर लग गया था। खटपटियाणी जिस तरीके से जाल बिछाया था जगदीश इतना तो समझ ही गया था कि उनकी टीम की निगाहों से बचकर कोई भी जा नहीं सकता था।  भले ही खटपटिया ने नारंग की सेल्यूट का जवाब रहस्यमई मुस्कान के साथ दिया हो लेकिन जगदीश समझ चुका था कि पोपट सर अपनी चाल चल चुके थे। अब देखना यह था कि कौल कितने पानी में है? हत्यारा उनकी चाल में फंसता है या बच निकलता है वही।

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3 Comments

Varsha_Upadhyay

30-Sep-2023 10:20 PM

Nice one

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HARSHADA GOSAVI

30-Sep-2023 07:07 AM

Amazing story

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Gunjan Kamal

28-Sep-2023 08:02 AM

कौन को आपने कौल लिख दिया है आदरणीय, वाकई कहानी अच्छी तरह आगे बढ़ रही है, अगले भाग का इंतजार रहेगा 👏👌

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